नज़्म, ग़ज़ल, हिंदी किताबत और अंग्रेजी articles से हटकर, काफी समय बाद हिंदी कविता लिखी है; उम्मीद है आपको पसंद आए. इस में अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल उनके effect के लिए किया है, क्यूंकि उन शब्दों के हिंदी अनुवाद मुझे उतने प्रभावशाली नहीं लगे. और वैसे भी, ज़माना Hinglish का है!
रावण दहन देखने पहुंचा मैं मैदान में,
काफी लोग आये थे लंकेश्वर के सम्मान में..
Chief-guest था शहर का एक नेता,
जो मौका मिलने पर पुतले से भी वोट मांग लेता..
रावण के पुतले को लगाने आग,
जैसे ही मंत्रीजी ने
माचिस की तिली जलाई;
पुतले की आत्मा ज़ोर से चिल्लाई,
" ऐ मेरे कलयुगी भाई!
अपने ही हाथों से,
मुझे आग मत लगाओ..
बड़े भैया होकर
अनुज को न जलाओ!
हम दोनों रावण के प्रतीक हैं तो क्या हुआ,
हमारे पास कुर्सी है, power है, नाम है..
अपने ही बिरादरों को मारना-काटना-जलाना
राक्षसों का नहीं, इन्सानों का काम है..
आपकी मेहरबानी से नेताजी,
हमारी राक्षसी संस्कृति
आज भी लोगों में ज़िंदा है..
और हमारे half-murder के जुर्म में,
राम आज तक शर्मिन्दा है..
इसीलिए मेरे जात-भाई,
आग लगाना भूल जाइए..
एक नया धार्मिक मुद्दा उठाइये,
और नए झूठोंवाला manifesto बनाइये!
बिहार- U.P. में election है,
तुम राजनीतिक रोटियाँ सेको..
इन्सानियत के राम को जहां देखों,
जड़ समेत उखाड़ फेकों!
फ़िक्र नहीं, फ़क्र करो यही बात,
हमारी जाति का पताका फहराएगी..
बिना quota और reservation के,
सारी facilities मुहैय्या कराएगी..
और हिन्दुस्तान की परिभाषा,
अवश्य सार्थक हो जायेगी! "
...फिर नेता ने विभीषण का किरदार निभाया,
और बड़ी शान से रावण का पुतला जलाया.
इस वाकिये से तब मैं ऊब गया,
और गहरी सोच में डूब गया..
रावण के कई पुतलें
हम हर साल जलाते है,
मगर उन सामाजिक रावणों का क्या
जो mushroom की तरह उग आते है??
हम उस दौर में है जहां भगवान् का जन्मस्थान,
देश का कानून बताता है..
एक को तो श्री राम मार गए थे,
अब बाकियों का ख़याल सताता है...
10 comments:
Baakiyon ka khayal satata hai,
Par kuch kar sake itna samay kaha mil pata hai.
Is kash-ma-kash mein chadta hai vote bali,
Ek aur Raavan existence mein aata hai.
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Was tryin to prove dat m ur sis....probably not dat gr8..but still i tried...as usual i loved ur writing....so simple yet so deep...al d best...
Neha R Madan
thank you so much neha di! :)
and the lines are really good considering you're a fresher! :P
and this one's for you...
शब्दों के सफ़र में कलम के हमसफ़र रहो,
हो सके तो ऐसे ही कभी सुखन्वर रहो...
(सुखन्वर = poet)
muze toh aapka khayaal satata hai
khud rawan ban duniya ko bewkoof banata hai...
:D :D :D :D :D
jus' kiddin'...
mein toh bass yahi kahunga ki aap bass yu hi likhte rahe... aur hum aapke taarifo ke pool bandhate rahe...
:P :P :P :P :P :P
Nice, deep, thoughtful!
Absolutely love it!
@ gitesh.. tum nahi sudhroge dost! thank-waad!
@ rashida.. thanks a lot!
Sameer bhai aapne to phir se hamari kavitao me ruchi jaga di, bahut bahut abhaari rahenge hum aapke :D
Very good poem man, seriously
shrikant, bhaai sab tumhara hi prakop hai! :P
thank you brother!
Had to wait a lot to read this, but kya batau sameer babu- itna karaara work kaafi samay baad padha hai. Mazaa aa gaya :)
It's classic. There aren't many instance when i'm left short of the right words. This was one such instance.
True brilliance.
thanks you so much boss! i'm honored!:)
Sameer this is very good.. i m sorry for such late response but ur poem is evergreen :)
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