Tuesday, July 27, 2010

अपना ख़याल रखिये...

(Photo courtesy: Bibartan Ghosh.)

याद कीजिये आखिरी बार आपने खुद से बात कब की थी. कब आपने खुद के साथ समय बिताया था? किस दिन आपने दूसरों को कोसने की बजाय अपने अन्दर झाँका था? सोचिये, कब आपने मुड़कर जिंदगी को देखा था. दरअसल हम सब दूसरों के साथ बाहर जाने, दोस्तों के साथ घूमने और रोज़मर्रा के कामों में इतने व्यस्त हो जाते है कि हमारे पास खुद के लिए समय नहीं बचता. ध्यान रहे, दोस्त आते-जाते रहेंगे मगर आप ज़िन्दगीभर खुद के साथ रहेंगे.

खुद के साथ समय बिताने का मतलब ये नहीं होता कि आप लोगों से दूर रहना पसंद करते है, बल्कि इसके मायने ये है कि आपको अपने खयालों में खोना अच्छा लगता है. इससे आप अपने आपको बेहतर तरीके से जान पायेंगे. हमें दोस्तों के साथ और अपने आप के साथ वक्त बिताने की  ज़रुरत होती है. दोनों के अपने फायदे है. दोस्तों के साथ रहने से आपको एहसास होता है कि आप किसी  बिरादरी का या कहिये एक समाज का हिस्सा है; जबकि खुद के साथ रहना आपको ये जानने में मदद करता है कि आप कौन है.

मान लीजिये ज़िन्दगी एक सफ़र है; हम सब अपनी-अपनी मंज़िल की तलाश में है. और हां हम अकेले नहीं है, एक हुजूम है जो हमारे साथ चलता है. आपको ये तय करना है कि आप इस भीड़ का हिस्सा बनना चाहते है या अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं. देखिये वक्त तेज़ी से चल रहा है, माफ़ कीजिये, दौड़ रहा है और जीने का करीना बदल रहा है. तो इस भाग-दौड़ भरी  ज़िन्दगी में बीच राह रूककर सफ़र का मुआयना करना बहुत ज़रूरी है. मुड़कर देखिये कितना रास्ता पार कर चुके है, और आगे के सफ़र की तैयारी कीजिये. 

खुद से प्यार कीजिये, क्योंकि मेरा मानना है कि लोग आपसे तब तक प्यार नहीं करेंगे जब तक आप खुद से प्यार करना नहीं सीखते. अकेले चाय- कॉफ़ी पीजिये, सुबह-सुबह सैर पर जाइए, बिना कारण मुस्कुराइए या फिर अपनों के साथ बिताए खूबसूरत पलों को याद कीजिये.  ये कुछ तरीके है जिससे आप अपने मन की battery charge कर सकते है. तन्हाई में आपके ख़याल खुली उड़ान भरते है. आप पर किसी प्रकार का pressure नहीं होता. ये वो समय है जब आपका असल व्यक्तित्व और सच्चे विचार बाहर आते हैं. इस एहसास का अपना मज़ा है. महसूस कीजिये, बयान करने को शब्द कम है.

चलते चलते...
दिल तो दिल है दिल की बातें समझ सको तो बेहतर है,
दुनिया की इस भीड़ में खुद को अलग रखो तो बेहतर है...
खामोशी भी एक सदा है अक्सर बाते करती है,
तुम भी इसको तन्हाई में कभी सुनो तो बेहतर है...

और हाँ, अपना ख़याल रखिये! :)