Tuesday, December 28, 2010

अलविदा 2010!

हम सालों में ज़िन्दगी कम और ज़िन्दगी में साल ज़्यादा जोड़ रहे हैं. हो सके तो एक new year resolution लेकर इस रिवाज़ को बदल दीजिये. एक दृष्टि बीती पर डालिये और यादों की पोटली टटोलकर जितनी भी खुशियाँ, संभावनाएं और सीख मिलती हैं उन्हें सहेज कर रख लीजिये और बाकी चीज़ों का tension मत लीजिये. मेरा मानना है कि हर चीज़ अपनी उम्र जीती है और अतीत का हिस्सा हो जाती है. और अगर अतीत ससीम है, तो भविष्य असीम है.

ज़िन्दगी की किताब का पन्ना बदल रहा है,
आगे न जाने क्या लिखा है, साल ढल रहा है..


नए के स्वागत में सब लगे है, जानेवाले की कद्र नहीं,
यही देखकर जल रहा है, साल ढल रहा है..


कुछ खुशियाँ, कुछ ग़म और ढेर सारी यादें,
जमा-पूँजी देकर निकल रहा है, साल ढल रहा है..


नयी उम्मीदें, नयी संभावनाएं और कुछ नए संकल्प,
नया ख्वाब भी पल रहा है, साल ढल रहा है..


इस तमन्ना के साथ कि 2011 इससे बेहतर होगा,
करें 2010 की विदाई, साल ढल रहा है..


मैं जानता हूँ कि आनेवाला साल अपने साथ नए घोटालें और नए कांड लेकर आएगा. खैर, फिर भी दुआ है कि 2011 में government नहीं governance बदले और corruption का virus थोड़ा कमज़ोर हो ताकि सुरेश कलमाड़ी, नीरा राडिया और ए. राजा जैसे महानुभावों के नाम कम सुनने मिले. उम्मीद है कि नए वर्ष में खेल गंभीर समस्या होगा, न कि गंभीर समस्या खेल.

स्वस्थ रहिये! मस्त रहिये! नया साल मुबारक हो!