Friday, May 20, 2011

एक ख़त राहुल गांधी के नाम

आदरणीय राहुलजी,

मैं यहाँ कुशल-मंगल नहीं हूँ और जानता हूँ कि आप भी कतई नहीं होंगे. Facebook के status updates और Twitter के 140 अक्षरोंवाले इस techno-savvy ज़माने में आपको हैरानी हो सकती है कि कोई चिट्ठी क्यूँ लिख रहा है. दरअसल मेरा मानना है कि अपने विचारों को अगर किसी तक पहुंचाना हो तो एक ख़त से बेहतर कोई माध्यम हो ही नहीं सकता.

खैर, सबसे पहले तो मैं आपको मुबारकबाद देना चाहूँगा कि आपने भारतीय नेता बनने का आखरी पड़ाव भी बखूबी पार कर लिया. आप गिरफ्तार हुए तो मुझे लगा मानो देश को एक और सच्चा जनसेवक मिल गया. चलिये इस बहाने आप T.V. पर तो आये, वरना बिहार के नतीजों के बाद आपके दर्शन दुर्लभ हो गए थे.

पता नहीं इसे आपकी नादानी कहूँ या कुछ और जो आपने कुछ दिन पहले कह दिया कि U.P. के हालात देखने के बाद आपको हिन्दुस्तानी होने पर शर्म आ रही थी. (मेरा मानना है शर्म ऐसी बात कहने में आनी चाहिए) और साहब अब आप कह रहे है कि भट्टा-परसौल में 74 लोगों को जलाया गया और कई महिलाओं के साथ पुलिस-कर्मियों ने बलात्कार किया. वैसे आपकी इस बात का समर्थन तो वो लोग खुद नहीं करते जिनके लिए आप ये सब कर रहे है, या कम-से-कम करने का दिखावा तो कर ही रहे है. आपके इस बेतुके बयान से पार्टी न तो पलड़ा झाड़ सकती है और ना ही समर्थन कर सकती है.


मेरी मानें तो फिलहाल जैसा आपके गुरु दिग्विजय सिंह कहते है वैसा ही कहिये और वैसा ही कीजिये. आपको बयानबाजी के गुर सीखने में अभी शायद और वक़्त लगेगा. कुछ राजनीतिक मार्गदर्शन अहमद पटेलजी से भी ज़रूर लीजियेगा, उन्हें इस में महारत हासिल है.

शायद आप देश के बदलते राजनीतिक माहौल से वाकिफ़ नहीं है. आपको देखकर बिलकुल नहीं लगता कि आपने बिहार चुनाव से कुछ सीखा है. आपको याद दिला दूँ कि आपने इस राज्य में प्रचार के लिए 70 जिलों का दौरा किया था और कांग्रेस बिहार में केवल शर्मनाक 4 सीटें ही जीत पायी. वो भी उन जिलो में जहां आप कभी गए ही नहीं. बाकी लगभग सभी उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गयी.

आप मानते हैं कि देश के युवा को राजनीति में शामिल होना चाहिए. ये सोच बहुत अच्छी है और ज़रूरी भी. मगर इसके लिए कुछ बुनियादी बदलाव भी ज़रूरी है. मिसाल के तौर पर गैर-राजनीतिक परिवार के युवकों को मौक़ा मिलना चाहिए. कांग्रेस के कुल 78 युवा सांसदों में से अधिकतर  राजनीतिक परिवारों से है. 30 साल से कम उम्र के सभी सांसद किसी कांग्रेसी नेता के बच्चे है. मैं सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं की बहुत इज्ज़त करता हूँ लेकिन और भी कई हक़दार और होनहार उम्मीदवार है जिन्हें मौक़ा मिलना चाहिए.

अंत में मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि चाहनेवालों और मतदाताओं में बहुत फर्क होता है. चुनाव जीतने के लिए एक खूबसूरत चेहरा और सटीक उपनाम काफी नहीं होता; और जनता को बेवक़ूफ़ समझना सबसे बड़ी बेवकूफी है. इस बात को जितनी जल्दी आप समझेंगे उतना बेहतर होगा, आपके लिए, पार्टी के लिए और देश के लिए.

भगवान् आपको सद्बुद्धि दे.
अपना ख़याल रखिये.